अल्लाह तआला के मशवरा तलब करने पर फ़रिश्तों का ताज्जुब से सवाल

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अल्लाह तआला के मशवरा तलब करने पर फ़रिश्तों का ताज्जुब से सवाल

अल्लाह तआला के मशवरा तलब करने पर फ़रिश्तों का ताज्जुब से सवाल
अल्लाह तआला के मशवरा तलब करने पर फ़रिश्तों का ताज्जुब से सवाल


 जब अल्लाह तआला ने फ़रिश्तों से ख़लीफा बनाने का मशवरा तलब किया तो फ़रिश्तों ने ताज्जुब करते हुए रब तआला से सवाल कियाः

क्या ऐसे को (नायब) करेगा जो उसमें फ़साद फैलाये और ख़ून रेज़ियां करे? और हम तुझे सराहते हुए तेरी तस्बीह करते और तेरी पाकी बोलते हैं ।

फ़रिश्तों ने रब तआला पर कोई ऐतराज़ नहीं किया और न ही कोई मुखालफत की बल्कि उनको अल्लाह तआला ने पहले ही यह इल्म दे रखा था कि जो ख़लीफ़ा मैं बनाने वाला हूं उसमें और उसकी औलाद में अनासिर अरबा की आमेज़िश होगी जो एक दूसरे के मुखालिफ होंगे यानी आग, मिट्टी, पानी, हवा का मजमूआ होगा। यह इल्म फ़रिश्तों को रब तआला के बताने से हासिल हुआ था या उन पर लौहे महफूज़ को मुनकशिफ़ करने से हासिल हुआ था। उन्होंने समझा कि मुखालिफ और ज़िद की चीजें मिलने से तो फ़साद ही फ़साद होगा, ख़लीफ़ा तो इसलिये बनाया जाता है कि ज़मीन में भलाई कायम हो और लोगों को भलाई की राह पर क़ायम किया जाये और उनके नफसों की तकमील की जाये और उनमें अल्लाह तआला के अहकाम जारी किये जायें तो जिस की बिना ही फ़साद पर होगी उस से यह काम कैसे हो सकेंगे? पर ताज्जुब
 

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यह सवाल उनका मख़फ़ी हिकमत के पता चलाने के लिये था या इस सवाल करते हुए था कि जो फ़साद फैलाने वाले होंगे उनसे ज़मीन को आबाद करना और उसमें सलाहियत पैदा करना क्योंकर मुमकिन होगा?

ख़्याल रहे कि यह फ़रिश्तों की इज्तेहादी ख़ता थी कि उन्होंने समझा शायद तमाम इंसान ऐसे गेहालांकि अंबियाए किराम अलैहिमुस्सलाम मासूम होने की वजह से नेक और पारसा, सालेह व मुत्तकी लोग अल्लाह की हिफाज़त में होने की वजह से फ़साद बरपा करने से पाक हैं।

फ़रिश्तों के ख़्याल के मुताबिक उनकी तस्बीह व तक़दीस और इस्मत के पेशे नज़र वह ख़िलाफ़ते इलाहया के ज्यादा मुस्तहिक थे, उनके इस तरह के क़सूरे इल्म को ज़ाहिर करने के लिये अल्लाह तआला ने फरमायाः

यानी ऐ मेरे फ़रिश्तो! मैं वह सब कुछ जानता हूं जो तुम नहीं जानते । महज़ तस्बीह व तक़दीस मैयारे ख़िलाफ़त नहीं और न ही मुख़्तलिफ़ और एक दूसरे की ज़िद अनासिर से मुरक्कब होना मनसबे ख़िलाफ़त के मनाफ़ी है। बल्कि ख़िलाफ़त का मैयार यह है कि अल्लाह का ख़लीफ़ा जिन चीज़ों का ग़ैरों को हुक्म दे उन पर खुद भी अमल करे, इसलिये सारे इंसान फ़साद और नाहक ख़ूनरेज़ी करने के गुनाहों में मुब्तला नहीं होंगे, उनमें कुछ मासूम होंगे जो अल्लाह तआला के ख़लीफ़ा बनने के हक़दार होंगे।

📗 तज़किरतुल अंबिया

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