आदम अलैहिस्सलाम के क़ालिब में रूह का दख़ूल

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 आदम अलैहिस्सलाम के क़ालिब में रूह का दख़ूल :

आदम अलैहिस्सलाम के क़ालिब में रूह का दख़ूल
आदम अलैहिस्सलाम के क़ालिब में रूह का दख़ूल

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अल्लाह तआला ने रूह को हुक्म दिया कि इस क़ालिब में दाख़िल हो जा और तमाम हिस्सों में फैल जा। जब रूह क़ालिब के पास पहुंची तो जिस्म को तंग व तारीक पाया अंदर जाने से रुक गई। बाज़ रिवायात में आता है कि तब नूरे मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से वह क़ालिब जगमगा दिया गया यानी वह नूर आदम अलैहिस्सलाम की पेशानी में अमानत रखा गया । अब रूह आहिस्ता आहिस्ता दाखिल होने लगी अभी सर में थी कि आपको छींक आई और ज़बान में पहुंची तो आपने अलहम्दोलिल्लाह पढ़ा और अल्लाह तआला ने उसके जवाब में यरहमकुल्लाह कहा और अल्लाह तआला ने फ़रमाया ऐ अबू मुहम्मद ( यह और अबुल बशर आप अलैहिस्सलाम की कुन्नियत है) मैंने तुम्हें अपनी हम्द के लिये ही पैदा किया है। जब रूह कमर तक पहुंची तो आपने उठना चाहा लेकिन आप गिर पड़े क्योंकि रूह अभी नीचे वाले हिस्से में नहीं पहुंची थी 

अल्लाह तआला ने फ़रमायाः इंसान जल्द बाज़ पैदा किया गया ।

फिर रूह तमाम जिस्म में फैल गई तो आप को हुक्म हुआ कि फरिश्तों को सलाम करो। आपने कहा अस्सलामु अलैकुम फरिश्तों ने जवाब दिया व अलैकुम अस्सलाम । अल्लाह तआला ने फरमाया यही आपके लिये और आपकी औलाद के लिये सलाम का तरीका होगा। आप ने अर्ज़ किया मेरी औलाद कौन सी होगी? तो आप की तमाम औलाद को आपके सामने कर दिया गया। 

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नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः

बेशक अल्लाह तआला ने आदम अलैहिस्सलाम को पैदा फ़रमाया फिर उनकी पीठ पर अपना दस्ते कुदरत फेरा और आपकी औलाद को निकाल जाहिर किया फिर फ़रमाया मैंने उनको जन्नत के लिये पैदा किया और यह जन्नत वालों का अमल करेंगे फिर अल्लाह तआला ने अपना दस्त कुदरत आपकी पीठ पर फेरा और आप की बाकी औलाद को ज़ाहिर फ़रमाया और रब ने कहा कि इन लोगों को मैंने जहन्नम के लिये पैदा किया है यह जहन्नमियों वाले अमल करेंगे। 

(getButton) #text=(यह भी पढ़ें : हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाईश) #icon=(link) #color=(#2339bd)

फ़रिश्तों को आदम अलैहिस्सलाम के सामने सज्दा का हुक्मः

आदम अलैहिस्सलाम की तख़लीक से पहले ही अल्लाह तआला ने फ़रिश्तों को हुक्म दे रखा था कि तुम्हें मेरे ख़लीफा के सामने सज्दा करना है। आदम अलैहिस्सलाम की तख़लीक के बाद फ़रिश्तों पर तमाम चीज़ों को पेश करके उनके नाम पूछे, जब फरिश्तों ने अपनी आजिज़ी का इज़हार कर दिया तो फिर आदम अलैहिस्सलाम से पूछा आप ने तमाम चीज़ों के नाम बता दिये तो फिर हुक्म दिया ।

इरशादे बारी तआला है:

और याद करो जब हमने फ़रिश्तों को कहा आदम को सज्दा करो सब ने सज्दा किया सिवाए शैतान के उसने इंकार किया और तकब्बुर किया वह काफ़िरों से हो गया।'

फ़रिश्तों को सज्दए ताजीमी का हुक्म दिया गया जैसे हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के सामने आप के भाईयों ने ताज़ीमन सज्दा किया। हमारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शरीअत में सज्दए ताज़ीमी हराम क़रार दिया गया । इबादत की ग़र्ज़ से सज्दा सिवाए अल्लाह तआला के किसी शरीअत में जायज़ नहीं रहा। 

 अल्लामा आलूसी रहमतुल्लाहि अलैहि फ़रमाते हैं:

ताहम फिर भी सबसे पहले सज्दा हज़रत जिब्राईल ने किया फिर मिकाईल, फिर इस्राफ़ील फिर इज़ाईल अलैहिमुस्सलाम ने फिर तमाम रिश्तों ने इसलिये हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को सबसे बड़ा दर्जा अता किया गया यानी अंबियाए किराम अलैहिमुस्सलाम की ख़िदमत में उनके पास वही (कुरआन) लाने का अज़ीम काम उनके सुपुर्द हुआ ।

बाज़ हज़रात ने कहा कि सब से पहले सज्दा हज़रत इस्राफील अलैहिस्सलाम ने किया इसी लिये उनकी पेशनी पर सारा कुरआन लिख दिया गया ।

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आदम अलैहिस्सलाम को ख़लीफ़ए हक़ीक़ी का मज़हर बनाया गया:

अगरचे जाहिर तौर पर सबसे पहले ख़लीफा हज़रत आदम अलैहिस्सलाम हैं लेकिन दरहक़ीक़त सबसे पहले ख़लीफा हमारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ही हैं क्योंकि आपका अपना इरशादे गिरामी यह है: 

मैं उस वक़्त भी नबी था जब आदम अलैहिस्सलाम रूह और जिस्म के दर्मियान थे।

हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम अल्लाह तआला के हुक्म से नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की कब्र अनवर की जगह से मिट्टी ले गये । आबे तस्नीम से उसे गूंधा गया जन्नत की नहरों में गोते दिये गये ज़मीनों आसमानों में फिराया गया इसी वजह से हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से पहले ही फ़रिश्तों ने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पहचान लिया था। फिर उस मिट्टी को आदम अलैहिस्सलाम के जिस्म से मिला दिया गया और नूरे मुहम्मदी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से आदम अलैहिस्सलाम की पेशानी को चमकाया गया।

वही नूरे मुहम्मदी दर असल फ़रिश्तों से सज्दा कराने का सबब बना था। 

इमाम राज़ी ने तफ़सीर कबीर में फ़रमायाः

बेशक फरिश्तों को आदम अलैहिस्सलाम को सज्दा करने का हुक्म इसलिये दिया गया कि आपकी पेशानी में मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नूर रखा गया था। 

अल्लामा आलूसी रहमतुल्लाहि अलैहि फरमाते है:

यानी दरहक़ीक़त हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ही अल्लाह की मखलूक में अल्लाह तआला के ख़लीफ़ए आज़म हैं और ज़मीनों और बुलंद आसमानों में सब से मुक़द्दम इमाम हुजूर ही हैं अगरचे हुजूर अलैहिस्सलाम न होते तो न आदम अलैहिस्सलाम पैदा होते न उनके अलावा कोई और चीज़।

अल्लामा राज़ी और अल्लामा आलूसी रहमतुल्लाहि अलैहुमा की इन इबारात से वाज़ेह हुआ कि ख़लीफए आज़म हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ही हैं आदम अलैहिस्सलाम की खिलाफत आपकी ख़िलाफ़त का ज़हूर है।

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फ़रिश्तों की तादाद कितनी है?

फ़रिश्तों की तादाद को सिर्फ अल्लाह तआला ही जानता है या नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को तमाम ज़मीनों आसमानों का इल्म दिया गया तो आप जानते हैं, लेकिन आपने भी तादाद को ज़िक्र नहीं फ़रमाया, अलबत्ता अल्लामा राज़ी रहमुतल्लाहि अलैहि ने इस तरह ज़िक्र फरमाया कि फरिश्तों की तादाद बहुत ज़्यादा है क्योंकि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः

आसमान में चरचराहट पैदा हुई और हक़ भी यही है कि उनमें चरचराहट पाई जाये क्योंकि आसमानों में एक क़दम की जगह भी नहीं कि वहां कोई फ़रिश्ता सज्दा या रुकू न कर रहा हो। तमाम इंसान, जिन्न, हैवानात, परिन्दे, आबी जानवर सिर्फ रूए ज़मीन के मकीन फ़रिश्तों का दसवा हिस्सा हैं, फिर यह भी उन तमाम के साथ मिलाकर पहले आसमान के फ़रिश्तों का दसवा हिस्सा हैं फिर यही सिलसिला सात आसमानों तक फिर अर्श के परदों के साथ और हामिलीने अर्श फ़रिश्तों की तादाद के मुकाबले में यह ऐसे हैं जैसे समुन्द्र के मुक़ाबिल एक क़तरा हो । 

📗 तज़किरतुल अंबिया

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