Shaitan ( Devil ) Ne WasWasa Kyon Daala? | शैतान ने वसवसा क्यों डाला?

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Shaitan ( Devil ) Ne WasWasa Kyon Daala? | शैतान ने वसवसा क्यों डाला?

आदम व हव्वा अलैहिमस्सलाम के लिये फरमान था कि उस दरख़्त के क़रीब न जाना, शैतान ने उनसे इस फरमाने इलाही की नाफरमानी कराना चाही इस लिये वसवसे की ज़बान में दोनों से कहा कि मैं तुम्हें ऐसा दरख़्त न दिखाऊं जिसके खाने से तुम हमेशा जन्नत में रहो

Shaitan ( Devil ) Ne WasWasa Kyon Daala? | शैतान ने वसवसा क्यों डाला?

Shaitan ( Devil ) Ne WasWasa Kyon Daala?


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शैतान ( Devil ) ने वसवसा क्यों डाला?

आदम व हव्वा अलैहिमस्सलाम के लिये फरमान था कि उस दरख़्त के क़रीब न जाना, शैतान ने उनसे इस फरमाने इलाही की नाफरमानी कराना चाही इस लिये वसवसे की ज़बान में दोनों से कहा कि मैं तुम्हें ऐसा दरख़्त न दिखाऊं जिसके खाने से तुम हमेशा जन्नत में रहो

शैतान ( Shaitan, Devil )  के फिसलाने का क्या मतलब?

तो शैतान ने उन्हें उस दरख़्त के ज़रिये फुसलाया और जहां वह रहते थे वहां से उन्हें अलग कर दिया ।

आदम व हव्वा अलैहिमस्सलाम के लिये फरमान था कि उस दरख़्त के क़रीब न जाना, शैतान ने उनसे इस फरमाने इलाही की नाफरमानी कराना चाही इस लिये वसवसे की ज़बान में दोनों से कहा कि मैं तुम्हें ऐसा दरख़्त न दिखाऊं जिसके खाने से तुम हमेशा जन्नत में रहो और तुम्हें ऐसी बादशाही नसीब हो जाये जिसमें कभी किसी किस्म की कमज़ोरी पैदा न हो। शैतान ने उनके दिलों में बार बार वसवसा पैदा किया और वसवसा की ज़बान में क़सम खा कर उनको कहा कि तुम्हारा ख़ैर ख़्वाह हूं उस दरख़्त के खाने से तुम्हारे रब ने सिर्फ इसलिये तुम्हें रोका है कि तुम फ़रिश्ते न हो जाओ हमेशा तुम्हें जन्नत में रहना नसीब न हो जाये। बिल आख़िर धोके से उन्हें इस दरख़्त के खाने पर आमादा कर लिया और आदम व हव्वा अलैहिमस्सलाम ने दरख़्त से खा लिया और खाते ही उनका जन्नती लिबास उनसे उतर गया और जन्नती दरख़्तों के पत्तों से अपने अपने जिस्मों को ढांपा और वह जन्नत से ज़मीन की तरफ़ उतार दिये गये यहां तक तो शैतान की ख़्वाहिश पूरी हो गई । 

लेकिन असल मक़सद में वह कामयाब न हुआ उसकी असल ख़्वाहिश यह थी कि आदम अलैहिस्सलाम अल्लाह की मुमानेअत को याद रखते हुए क़सदन उस दरख़्त से खायें और इस तरह आसी और नाफ़रमान होकर जन्नत से निकाले जायें इसलिये उसने वसवसा की ज़बान में ( मा नहा कुमा रब्बु कुमा अन हाज़िहिश श ज र त ) कहकर अल्लाह तआला की नही भी उन्हें याद दिला दी, लेकिन इस्मते इलाहया ने उन्हें मासियत से बचा लिया और उस दरख़्त के खाने से पहले मुमानेअते इलाही का उन्हें निसयान हो गया जैसा कि अल्लाह तआला ने फ़रमायाः


आदम भूल गये हमने उनका क़सद न पाया।

और आदम अलैहिस्सलाम क़सदन फ़रमाने इलाही की ख़िलाफ़ वर्ज़ी से बच गये और शैतान अपने असल मक़सद में नाकाम हो गया यही वजह है कि अल्लाह तआला ने अज़ल (जाल के साथ) के बजाए अज़ल नहीं फ़रमाया यानी यह फ़रमाया कि शैतान ने उनको फुसला दिया यह नहीं फ़रमाया कि उन्हें गुमराह कर दिया ।

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 Shaitan ( Devil ) Ne WasWasa Kyon Daala? | शैतान ( Devil ) ने वसवसा क्यों डाला?

आदम अलैहिस्सलाम को जब फरिश्तों ने सज्दा कर लिया तो आपको और आपकी जौजा को जन्नत में रहने का हुक्म हुआ और इरशाद हुआ कि आप यहां जो चाहें बा फ़राग़त खायें लेकिन उस दरख़्त के क़रीब न जायें तो उस मना किये हुए दरख़्त की वजह से शैतान ने दोनों को फुसला दिया और उन्हें खुशहाली, बे फिक्री और ऐश व इशरत के माहौल यानी जन्नत से दूर कर दिया, वजह उसकी यह भी थी कि जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को सज्दा करने से शैतान ने इंकार कर दिया और तकब्बुर किया तो अल्लाह तआला ने फ़रमायाः 

तू मरदूद है यहां से निकल जा |
तो शैतान के दिल में बुग्ज़ व हसद की आग भड़कने लगी और कहने लगा कि जिस तरह मैं ज़लील व ख़्वार कर के निकाला गया हूं आदम व हव्वा और उनकी नस्ल को इसी तरह जन्नत से निकालूंगा और उन्हें इसी तरह गुमराह करूंगा जिस तरह मुझे गुमराह किया गया यानी मैं उनसे अपना पूरा बदला लूंगा।


शैतान ( Devil ) फुसलाने पर कैसे कादिर हुआ ?

शैतान ने जब सज्दा से इंकार किया उसे जन्नत से निकल जाने का हुक्म दिया गया उसी वक़्त उसने अल्लाह तआला से मुहलत ले ली अगरचे अल्लाह तआला ने फ़रमा दिया था कि तेरा दाव मेरे मुखलिस बंदों पर नहीं चलेगा इसलिये शैतान आपसे क़सदन गुनाह न करा सका बल्कि सिर्फ उस मुहलत का फायदा उठाते हुए आपके दिल में वसवसा डालकर आप को भुला दिया।

शैतान इंसानों को कैसे वसवसे में डालता है ?

अल्लाह तआला ने इरशाद फरमायाः

बेशक वह और उसका क़बीला तुम्हें देखता है जहां से तुम उसे नहीं देख सकते । यानी शैतान ( Devil ) और उसके ज़ेरे असर दूसरे छोटे छोटे शैतान जहां कहीं भी हों इंसानों को देख सकते हैं और उन्हें वसवसे में डाल सकते हैं हालांकि इंसान उन्हें नहीं देख रहे होते । बेशक शैतान इंसान के अंदर अपने असरात इस तरह जारी व सारी कर सकता है जैसे आदम की रगों में ख़ून जारी होता है ।


शैतान ( Shaitan ) ने कहां से वसवसा वाली गुफ्तगू की ?

शैतान ने आदम व हव्वा अलैहिमस्सलाम से जो गुफ़्तगू की वह क़वी वसवसों के ज़रिये की। उसने ज़मीन से ही वसवसे की ज़बान में वह कुछ कह दिया जो कहना चाहता था जब से उसे जन्नत से निकाल दिया गया फिर उसे आसमानों पर चढ़ने की न इजाज़त थी न ही वह चढ़ सका। कुरआन मजीद या किसी हदीस में वारिद नहीं हुआ कि शैतान आदम व हव्वा के पास जन्नत में पहुंचा हो कुरआन पाक में तो सिर्फ यही अल्फाज़ वारिद हैं।

उन दोनों को शैतान ने वसवसे में डाल दिया ।

और सूरत ताहा आयात 120 में है शैतान ने उन ( आदम ) को वसवसे में डाल दिया, शैतान ( Devil ) को वसवसे में डालने के लिये जिस्मानी तौर पर किसी के पास जाना ज़रूरी नहीं और न ही यह ज़रूरी है कि वह जिसे वसवसे में डाले व उसे देखे भी ।

तंबीह : जिन अक़वाल में शैतान का सांप के ज़रिये जन्नत में जाना साबित है या शैतान का जन्नत के दरवाज़े पर बैठकर वसवसे में डालने का ज़िक्र है वह बनी इस्राईल के मन घड़त अक़वाल हैं। इब्ने कसीर ने कहा:

यहां मुफ़स्सेरीन ने कई इसाईली ख़बरें नक़्ल कर दी हैं और इमाम राज़ी फ़रमाते हैं: ज़रूरी है कि ऐसी रिवायात की तरफ बिल्कुल इल्तिफ़ात न किया जाये। 
फायदा : शैतान को अल्लाह तआला ने इतने तसर्रुफ़ात की ताक़त दे दी है कि वह कहीं भी लोगों के दिलों में वसवसे डाल लेता है और हज़रत इज़ाईल मल्कुल मौत फरिश्तों को इतनी ताक़त हासिल है कि वह एक लम्हे में तमाम रुए ज़मीन के कोने कोने में रूह क़ब्ज़ कर सकता है और सैय्यदना मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह तआला ने उनसे ज़्यादा तसर्रुफ़ात की ताक़त दी है तो इसमें दूसरे किसी का क्या नुक्सान ? आप अपने उम्मती की हालते ज़ार को देखें उसकी हाजत को पूरा करें वह कहीं भी हो? इसमें न तो कोई शिर्क है और न ही अक्लन मुहाल है।

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एतेराज़ : अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमायाः

व असा आ दमु रब बहु फ़ ग़ वा
यहां पर कई मुतरज्जेमीन ने असा का माना "हुक्म टाला" नाफ़रमानी की, आप से क़सूर हुआ, किया है और ग़वा का मायने राह से बहका, गुमराह हुए, ग़लती में पड़ गये राहे रास्त से भटक गया, किया है। तो किस तरह कहा जा सकता है कि आदम अलैहिस्सलाम से सिर्फ भूल वाक्य हुई आप ने कोई जुर्म और गुनाह नहीं किया ?

जवाब : आम मुतरज्जेमीन ने यहां तर्जमा सही नहीं किया देखिये आला हज़रत मौलाना अहमद रज़ा ख़ां बरेलवी रहमतुल्लाहि अलैहि ने यह तर्जमा किया है:

आदम अलैहिस्सलाम से अपने रब के हुक्म में लग़ज़िश वाकेय हुई जो मतलब चाहा था उसकी राह न पाई ।

इस तर्जमे से वाज़ेह हो रहा है कि यह लग़ज़िश भूल कर थी इसमें कोई गुनाह या भटकने वाली बात नहीं थी। इस मक़ाम पर अल्लामा राज़ी रहमतुल्लाहि अलैहि ने तफ़सीर कबीर में ज़िक्र फ़रमाया:

यानी बेशक ज़ाहिर कुरआन पाक अगरचे दलालत करता है कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से इस्यान व ग़वायत वाक़ेय हुए लेकिन किसी को यह कहने का कोई हक़ नहीं कि वह यह कहे कि हज़रत आदम ने हुक्म टाला वह गुमराह हुए भटक गये यानी मक़सद यह है कि यह अल्फ़ाज़ अल्लाह तआला ने इस्तेमाल फ़रमाये उसको हक पहुंचता है वह अपने बंदे के हक़ में जो अल्फ़ाज़ चाहे इस्तेमाल करे लेकिन वही हक़ीक़तन उनके मायने से भी आगाह है।

इस मक़ाम पर अल्लामा आलूसी रहमतुल्लाहि अलैहि रुहुल मआनी में तहरीर फ़रमाते हैं: काज़ी अबू बकर बिन अरबी ने वाज़ेह तौर पर बयान फ़रमाया कि इस्यान यानी नाफरमानी, भटक जाना, बहक जाना, गुमराह हो जाना, इस किस्म के अल्फ़ाज़ की निस्बत जब हम अपने वालदैन आबा व अजदाद की तरफ नहीं कर सकते जो इंसानियत में हमारे ममासिल हैं और अंबियाए किराम से घटिया हैं ऐसे अल्फ़ाज़ की निस्बत अंबिया किराम और खुसूसन हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तरफ कैसे हो सकती है? जो बर गुज़ीदा मुकर्रम और हर तरह ताज़ीम व तकरीम के लिहाज़ से मुक़द्दम हैं।

मआलिमुल तंजील में है:

यह यक़ीनी बात है कि आदम अलैहिस्सलाम पर आसी वगैरह (नाफरमान हुआ, बहक गया, गुमराह हुआ) के अल्फाज़ का इतलाक़ जायज़ नहीं ।

आने वाली अगली पोस्ट : अंबियाए किराम गुनाहों से पाक हैं:

📗 तज़किरतुल अंबिया


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📗(तईदुल लहफ़ान मिन मकाइदिश शैतान)

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