आदम अलैहिस्सलाम की तौबा कब कबूल हुई?
Adam Alaihissalam Ki Tauba Kab Qubool Hui
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने जब इन कलिमात के ज़रिये तौबा की अल्लाह तआला ने उसी वक्त आपकी तरफ रहमत की तवज्जोह करते हुए तौबा को कबूल फरमा लिया ।
बाज़ उलेमा के नज़दीक आदम अलैहिस्सलाम का अल्लाह तआला से कलिमात लेना और उनके ज़रिये तौबा करना और उनका कबूल होना जन्नत से उतरने के बाद हुआ और तौबा भी कई सौ साल बाद कुबूल हुई दो सौ बल्कि तीन सौ साल आह व बुका गिरया व ज़ारी और नदामत के हाल में उन पर गुज़रे । शाह अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह अलैहि ने तफ़सीर अज़ीज़ी में यही फ़रमाया है।
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लेकिन हक़ यह है कि जन्नत से बाहर आने से पहले ही अल्लाह तआला ने आदम अलैहिस्सलाम को वह कलिमात अता फरमा दिये थे और उसी वक़्त उन्होंने तौबा की जो कबूल हो गई और उसी वक़्त अल्लाह तआला ने उनकी ख़ता माफ फरमा दी अलबत्ता यह मुमकिन है कि माफ़ी के बावजूद आदम अलैहिस्सलाम अपनी लगिज़श को याद करके नदामत के तौर पर सालहा साल तक गिरया व ज़ारी में मशगूल रहे हों जो ख़ौफ व ख़शियत का तकाज़ा और कमाल अबदियत की दलील है।
फ़ायदा : अल्लाह तआला ने फ़ताबा अलैहिमा नहीं फ़रमाया यानी अल्लाह तआला ने दोनों की तौबा को क़बूल कर लिया इसलिये कि औरतें मर्दों के ताबे हैं। मर्द के ज़िक्र से औरत का ज़िक्र खुद बखुद हो जाता है।
तंबीह : अल्लामा अहमद सईद काज़मी रहमतुल्लाह अलैहि ने रूहुल बयान के इस क़ौल को तरजीह दी है जिसमें ज़मीन पर आने से पहले आपकी तौबा क़बूल हो चुकी थी, ज़मीन पर रोना आजिज़ी के लिये था ताहम मुफ्ती अहमद यार खां रहमतुल्लाह अलैहि ने तफसीर नईमी सफह २८६ पर ब्यान किया। यह क़ौल ज़ईफ है जब तौबा कबूल हो चुकने के बाद ज़मीन पर तशरीफ़ लाये तो फिर बीवी से अलाहदगी कैसी? और परेशानियां कहां? यानी रब तआला किसी को माफी देकर बिला वजह परेशानी में नहीं डालता ।
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तौबा किस दिन कबूल हुई?
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तौबा जुमा को कबूल हुई। आप की पैदाईश और जन्नत से बाहर तशरीफ लाना भी जुमा के दिन ही था, और वह आशूरा यानी दस मुहर्रम का दिन था। ख़्याल रहे कि आशूरा जुमा को बड़े अहम वाक्यात हुए, आदम अलैहिस्सलाम की तौबा, नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती का ज़मीन पर आना, यूनुस अलैहिस्सलाम का मछली के पेट से बाहर आना, अय्यूब अलैहिस्सलाम की शिफा, मूसा अलैहिस्सलाम का फ़िरऔन से नजात पाना और फ़िरऔन का गर्क होना, याकूब अलैहिस्सलाम का युसूफ अलैहिस्सलाम से मिलना हज़रत इमाम हुसैन का करबला में शहीद होना, सब दसवीं मुहर्रम को वाकेअ हुए। इन बुजुर्गों ने ग्यारहवीं शब राहत की गुज़ारी ।
अहले सुन्नत ग्यारहवीं रात को हज़रत गौसे पाक के ईसाले सवाब का एहतेमाम करते हैं वह दर हक़ीक़त उन तमाम बुजुर्गों को हासिल होने वाले इनामात पर इज़हारे खुशी भी होता है।
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📗 तज़किरतुल अंबिया
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हज़रत आदम अलैहिस्सलाम कितनी भाषा जानतेथे?हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को सात लाख ज़बानों का इल्म था और एक हज़ार पेशों में माहिर बने मगर आपने खेती बाड़ी का काम किया.
(alert-passed)📗 ( तफ़सीरे नईमी )
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ताबूते सकीना किस पर नाज़िल हुवा था?ताबूते सकीना अल्लाह तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम पर नाज़िल फ़रमाया था.
(alert-passed)📗 ( ख़ज़ाइनुल इरफ़ान, तफ़सीरे कवीर, रुहुल मआनी, ख़ाज़िन वगैरह )