आदम अलैहिस्सलाम की तौबा

Adam Alaihissalam Ki Tauba

Adam Alaihissalam Ki Tauba
फिर सीख लिये आदम ने अपने रब से कुछ कलिमे तो अल्लाह तआला का उन पर रुजू बरहमत हुआ बेशक वही बहुत तौबा क़बूल करने वाला बेहद रहम फ़रमाने वाला है।
तलक्का का मायने है कि आगे बढ़कर मुलाकात करना यानी इस्तिक़बाल करना अब मायने यह होगा कि आदम अलैहिस्सलाम ने आने वाले बा - वक़ार मेहमानों और मोअज्ज़म अहबाब की तरह मुहब्बत व इकराम के साथ अल्लाह तआला के कलिमात का इस्तिकबाल किया।
वह कलिमात क्या थे अल्लामा अबू हय्यान ने फ़रमायाः
यानी अल्लाह तआला ने वाज़ेह तौर पर वह कलिमात नहीं बताये बल्कि फतलक़्का आ द मु मिर रब्बिही कलिमातिन फ़रमाकर हमें सिर्फ कलिमात मुबहेमा की ख़बर दी इसलिये उनकी तअय्युन में अहले इल्म से चंद अक़वाल मंकूल हैं ।
१. इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु तअला अन्हुमा और बाज़ दीगर उलेमा ने कहा कि वह कलिमात यह हैं ।
रब्बना ज़लमना अनफुसना व इल्लम तग़फिर लना व तर हमना ल न कुनन्ना मिनल ख़ासिरीन ।।
२. अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ियल्लाहु अन्हु से मंकूल है कि वह कलिमात यह हैं ।
सुब्हान क अल्लाहुम्मा व बिहम्दिक व तबा र कस्मुक व तआला. जद्दुक व ला इलाहा गैरू क ।।
३. वहब और मुहम्मद बिन कअब से मंकूल है वह कलिमात यह हैं।
सुब्हा न क अल्लाहुम्मा बिहम्दि क अमिलतु सू अ व ज़लम्तु नफ़सी फ़ग़ फ़िरली इन न क खैरुल ग़ाफ़िरीन।।
यह कौल अब्दुल्लाह बिन अब्बास की तरफ भी मंसूब है।
४. एक कौल यह है कि आदम अलैहिस्सलाम ने साके अर्श पर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम लिखा हुआ देखा तो उन्होंने उसी इस्मे मुबारक को अपनी शफाअत का ज़रिया बनाया यह आख़री कौल हज़रत अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह अलैहि ने भी बरिवायत तिबरानी बैहक़ी हाकिम हज़रत फारूक आज़म रज़ियल्लाहु अन्हु तफ़सीर अज़ीज़ी में नक़्ल किया। ऐ अल्लाह मैं तुझे हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का वास्ता देकर माफी चाहता हूं इसी तफ़सीर अज़ीज़ी में हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु से भी बरिवायत इब्नुल मंज़र मंकूल है।
अल्लामा सय्यद महमूद आलूसी हनफी बग़दादी ने फरमायाः
यानी एक कौल यह है कि आदम अलैहिस्सलाम ने साढ़े अर्श पर "मुहम्मद रसूलुल्लाह लिखा देखा तो हज़रत को उन्होंने अपनी शफाअत का ज़रिया बनाया यानी वह कलिमात "मुहम्मद रसूलुल्लाह" हैं अल्लामा आलूसी फ़रमाते जब कुरआन मजीद में ईसा अलैहिस्सलाम को कलिमतुल्लाह कहा गया तो रूहे आज़म हबीबे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर "कलिमतुल्लाह" का बोला जाना तो ज़रूर ही साबित हो जायेगा, न ईसा हैं न मूसा, बल्कि आलमे इमकान में कोई नहीं और वाकई कोई नहीं लेकिन सब हुजूर अलैहिस्सलाम के हजूर अनवार के जलवे और आप ही के गुलज़ार हुस्न के महकते हुए फूल हैं।
अगर आदम अलैहिस्सलाम नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस्म गिरामी को बतौर वसीला न पेश करते और इसी तरह नूह अलैहिस्सलाम आप के इस्मे गिरामी का वसीला न लाते तो न आदम की तौबा क़बूल होती और न नूह अलैहिस्सलाम गर्क होने से नजात हासिल करते।
📗 तज़किरतुल अंबिया
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