हज़रत आदम और हज़रत हव्वा अलैहिमस्सलाम की मुलाक़ात
Hazart Adam Or Hawa Alaihissalam Ki Mulaqat
जब ज़मीन पर तशरीफ़ लाये तो हज़रत आदम अलैहिस्सलाम हिन्दुस्तान के इलाक़ा सरांदीप के पहाड़ पर उतरे और हज़रत हव्वा जद्दा में तौबा क़बूल होने के बाद दोनों की मुलाकात अरफ़ात के मक़ाम पर हुई दोनों ने एक दूसरे को पहचाना इसी लिये उस मैदान को अरफ़ात कहते हैं यानी पहचानने की जगह |
जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से आये थे तो उनसे अरबी ज़बान भी ले ली गई थी यानी भुला दी गई थी इतने रोज़ तक सुरयानी ज़बान में कलाम फ़रमाया। तौबा कुबूल होने के बाद अरबी ज़बान फिर अता हुई फिर हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने तमाम आलम के जानवरों को आवाज़ दी कि ऐ जानवरो हक़ तआला ने तुम पर अपना ख़लीफा भेजा है इसकी इताअत और फ़रमा बर्दारी करो दरियाई जानवरों ने सर उठाकर इताअत जाहिर की और खुशकी के जानवर आपके आस पास जमा हो गये आदम अलैहिस्सलाम उन पर हाथ फेरने लगे जिस पर उनका हाथ पहुंच गया वह अहली और ख़ानगी बन गये जैसे घोड़ा, ऊंट, बकरी, कुत्ता, बिल्ली वग़ैरह और जिस पर आपका हाथ न पहुंचा वह जंगली व वहशी रहा जैसे हिरन वगैरह।
📗 तज़किरतुल अंबिया
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हज़रत आदम और हज़रत हव्वा अलैहिमस्सलाम की मुलाक़ात कहां पर हुई थी?दोनों की मुलाकात अरफ़ात के मक़ाम पर हुई दोनों ने एक दूसरे को पहचाना इसी लिये उस मैदान को अरफ़ात कहते हैं यानी पहचानने की जगह |
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हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जमीन पर सबसे पहले कहां उतारे गए थे?हिन्दुस्तान के इलाक़ा सरांदीप के पहाड़ पर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम उतरे गए थे |
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