हज़रत आदम व हव्वा अलैहिमस्सलाम का ज़मीन में तशरीफ लाना

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 हज़रत आदम व हव्वा अलैहिमस्सलाम का ज़मीन में तशरीफ लाना 

हज़रत आदम व हव्वा अलैहिमस्सलाम का ज़मीन में तशरीफ लाना
हज़रत आदम व हव्वा अलैहिमस्सलाम का ज़मीन में तशरीफ लाना 


Hazart Adam V Hawa Alaihissalam Ka Zameen Me Tashrif Lana 

और जहां रहते थे वहां से उन्हें अलग कर दिया ।

यानी जन्नत में हज़रत आदम व हव्वा दोनों को रहने की इजाज़त दी गई और हर किस्म के जन्नत के फल और नेमतें खाने की इजाज़त दी गई अलबत्ता एक दरख़्त से मना किया गया जब शैतान खैर ख़्वाह बनकर क़समें उठाकर नसीहत देने वाले की शक्ल में आप को वसवसे में डालने में कामयाब हो गया तो आपको जन्नत और जन्नत की नेमतों से अलग होना पड़ा । और अल्लाह तआला ने हुक्म दे दियाः

और हमने कहा तुम तमाम उतर जाओ बाज़ तुम्हारे बाज़ के दुश्मन हैं और दूसरे मक़ाम पर फरमायाः

रब ने फ़रमाया तुम दोनों मिल कर जन्नत से उतरो ।

दोनों आयतों का मक़सद यह है कि हज़रत आदम व हव्वा को बमअ उनकी औलाद के जो ता क़यामत वजूद में आनी थी ज़मीन पर उतरने का हुक्म दिया और फ़रमाया तुम्हारी औलाद बाज़ दूसरे बाज़ की दुश्मन होगी।


ख़्याल रहे कि शैतान को उन दोनों के उतारने से पहले ही मरदूद करके रूए ज़मीन पर भेज दिया गया था यहां उसके उतरने का ज़िक्र नहीं । हज़रत आदम अलैहिस्सलाम सरांदीप में उतारे गये और हज़रत हव्वा को जद्दा में और शैतान को पहले ही ईला में उतार दिया गया था । 

हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जब ज़मीन पर तशरीफ लाये तो आपका जन्नती लिबास उतार लिया गया था और जन्नत के दरख्तों के पत्ते अपने जिस्म पर ढांप कर तशरीफ लाये। 

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हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते है कि हिन्दुस्तान की ज़मीन इसलिये उम्दा और हरी भरी है और ऊदे करनफल वगैरह खुश्बूयें इसलिये वहां पर पैदा होती हैं कि आदम अलैहिस्सलाम जब उस ज़मीन पर आये तो उनके जिस्म पर जन्नती दरख़्त के पत्ते थे वह पत्ते हवा से उड़कर जिस दरख़्त पर पहुंचे वह हमेशा के लिये खुश्बूदार हो गया ।

📗 तज़किरतुल अंबिया

आने वाली अगली पोस्ट : हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से क्या लाये ?


Related Question (FAQs)

कौन से नबी का निकाह का खुतबा खुद खुदा ने पढ़ाया?

हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ।

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📗 ( सावी जिल्द 4 पेज 21 , मदारिजुन्नुबुव्वत जिल्द 2 पेज 5 )

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कौनसे नबी हैं जो दुनिया में कभी भी ज़मीन का पानी नहीं पिया?

आदम अलैहिस्सलाम पूरी ज़िन्दगी बारिश का पानी पीते रहे ।

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📗( तफ़सीर अज़ीज़ी सूरए बक़र पेज 172 )

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